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निमिषा प्रिया से पहले कितने भारतीयों को मध्य पूर्व में हुई मौत की सज़ा
Posted on 11/07/2025 by admin

यह जानकारी उन्हें बचाने के लिए अभियान चला रहे लोगों ने बीबीसी को दी है.
निमिषा प्रिया पहली भारतीय नहीं हैं जिन्हें किसी अन्य देश में मौत की सज़ा का सामना करना पड़ रहा है.
मार्च 2025 में भारत सरकार ने संसद को बताया था कि दुनिया के आठ देशों में कुल 49 भारतीय नागरिकों को मौत की सज़ा सुनाई गई है. इनमें से अकेले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 25 भारतीयों को यह सज़ा दी गई है.

निमिषा प्रिया 2008 में यमन की राजधानी सना गईं और वहां एक सरकारी अस्पताल में नौकरी करने लगीं.
उनके पति टॉमी थॉमस भी 2012 में यमन गए, लेकिन रोज़गार न मिलने के कारण 2014 में अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट आए.
इसके बाद निमिषा ने एक क्लीनिक खोलने का फैसला किया और स्थानीय व्यापारी तलाल अब्दो महदी को अपना पार्टनर बनाया.
आरोप है कि निमिषा ने महदी को नशीला इंजेक्शन देकर मार डाला.
साल 2020 में एक स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई. उनके परिवार ने इस फैसले को यमन के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 2023 में उनकी अपील ख़ारिज कर दी गई.
जनवरी 2024 में हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष महदी अल-मशात ने उनकी फांसी को मंज़ूरी दे दी.
यूएई में भारतीयों को मौत की सज़ा से जुड़े मामले
शहज़ादी (बांदा, यूपी)
पेशा: घरेलू सहायक
आरोप: चार महीने के बच्चे की हत्या
गिरफ़्तारी: 10 फरवरी 2023
सज़ा: 31 जुलाई 2023 को मौत की सज़ा सुनाई गई, फरवरी 2025 में फांसी दी गई.
शहज़ादी दिसंबर, 2021 में अबू धाबी गईं थी. वो अगस्त 2022 से वहां घरेलू सहायक के तौर पर काम कर रहीं थी. उन पर उस चार महीने के बच्चे की हत्या का आरोप था जिसकी देखभाल का ज़िम्मा उन पर था.
शहज़ादी के रिश्तेदारों के मुताबिक़, चार महीने के उस बच्चे की मौत ग़लत टीका लगाने से हुई थी. उनकी दलील है कि इसीलिए इस मामले में पहले कोई केस नहीं किया गया था लेकिन करीब दो महीने के बाद बच्चे के घरवालों ने इस मामले में केस कर दिया जिसकी वजह से शहज़ादी फंस गयी.
शहज़ादी के पिता शब्बीर के मुताबिक़, उनकी लड़की 15 दिसंबर 2021 को अबू धाबी गई थी, सात दिसंबर 2022 को जिस बच्चे की वह देखभाल कर रही थी उसकी मौत हो गयी. फिर 10 फरवरी 2023 को केस कर दिया गया.
जब शहज़ादी जेल में बंद थीं तो बीबीसी ने मृतक बच्चे के पिता फ़ैज़ अहमद से इस बारे में संपर्क किया था.
मृतक के पिता ने जवाब में लिखा था, “शहज़ादी ने मेरे बेटे को बेरहमी से और जानबूझकर मारा और ये यूएई के अधिकारियों की जांच में साबित हो चुका है. एक अभिभावक के रूप में मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि वो हमारे दर्द को महसूस करें.”
वहीं, शहज़ादी के पिता का आरोप था कि उनकी बेटी को फंसाया गया.
शहज़ादी
इमेज कैप्शन,शहज़ादी को इस साल फरवरी में मौत की सज़ा दी गई थी
मोहम्मद रिनाश (थालास्सेरी, केरल)
पेशा: ट्रैवेल एजेंट
आरोप: अरबी सहकर्मी की धारदार हथियार से हत्या
सज़ा: 15 फरवरी 2025 को फांसी
रिनाश यूएई में ट्रैवल एजेंट थे. वो 2021 से अल ऐन शहर में काम कर रहे थे. उन्हें अरबी नागरिक अब्दुल्ला ज़ियाद अल राशिद की हत्या के आरोप में सज़ा हुई थी.
बताया जाता है कि रिनाश और अब्दुल्ला के बीच किसी बात पर झगड़ा हुआ. दोनों एक ही ट्रैवल एजेंसी में काम करते थे. इसी विवाद में धारदार हथियार से हत्या की गई. इसके बाद रिनाश अल ऐन कुछ साल जेल में भी थे.
पीवी मुरलीधरन (कासरगोड, केरल)
पेशा: ड्राइवर
आरोप: 2009 में हत्या और शव को रेगिस्तान में दफ़नाना
सज़ा: 15 फरवरी 2025 को फांसी
केरल के कासरगोड के मुरलीधरन को भारत के मुईद्दीन की हत्या के मामले में यूएई में फांसी दी गई. मुरलीधरन 2006 से अल ऐन में ड्राइवर थे, जहां उनके पिता भी काम करते थे. 2009 में मुईद्दीन की हत्या कर शव को रेगिस्तान में दफनाने का आरोप उन पर लगा था. 14 फरवरी को मुरलीधरन ने आख़िरी बार घर फोन कर सज़ा की जानकारी दी थी.
सऊदी अरब में भी भारतीयों को मिली है मौत की सज़ा
अब्दुल कादिर अब्दुर्रहमान (पलक्कड़, केरल)
उम्र: 63 वर्ष
आरोप: सऊदी नागरिक यूसुफ़ बिन अब्दुल अज़ीज़ की हत्या
सज़ा: अगस्त 2024
यह घटना साल 2021 की है. अब्दुर्रहमान पर आरोप था कि विवाद के बाद वहां के एक नागरिक पर हमला किया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
2024 में सऊदी अरब ने कुल 101 लोगों को मौत की सज़ा दी, जिनमें तीन भारतीय शामिल थे.